बुधवार, 12 मार्च 2025

प्रशांत फ्रॉडेंडेशन के प्रशांत त्रिपाठी

गंभीर बात!
१+
प्रशांत त्रिपाठी का लिखा हुआ (अव्वल तो वह लिखा हुआ नहीं है, नशे के उन्माद में बोला हुआ है) जो कुछ बताया जाता है वह उसके निजी प्रकाशन गृह का एक उत्पाद है। ऐसी पुस्तकों के प्रकाशन क्रम में कोई संपादक/रिव्यू करने वाला नहीं होता है, अतः जो उन्होंने कहा, उसे लिपिबद्ध कर दिया गया है।
अब मैं प्रशांत और उसके चेल्लरों को कहता हूं कि वह प्रशांत का एक लेख/संपादकीय/फीचर/निबंध दिखा दें जो उसके प्रकाशन गृह से बाहर प्रिंट में हो।
प्रशांत ने इंटरनेट मीडिया में, जहां वह आसानी से कुछ घूस देकर, अकाउंट बनवाकर लिख ले रहा है, वहां वहां स्वयं को उपस्थित कर दिया है। उसने इसके लिए ठेके दिए हैं।

प्रशांत त्रिपाठी

गंभीर बात!
१+१
किसी ने कोई पुस्तक लिखी है! यदि वह रचनात्मक साहित्य नहीं है तो रचना को पुस्तक मानने के कुछ आधार हैं।

१. लेखक मान्यता प्राप्त विद्वान है।
२. वह किसी संस्थान में अध्यापन कार्य से संबद्ध है। (प्रोफेसर हो।)
३. जिस संस्था से संबंधित है, उसमें उसका दायित्व पठन पाठन और अकादमिक/बौद्धिक जगत से जुड़ा हुआ है। उसका संबंध लिखने/पढ़ने के क्षेत्र से है।
४. रचना मौलिक होनी चाहिए और उसमें यह गुण हो कि उसकी व्याख्या की जा सके।
५. उसकी लिखी गई रचना एक विशेष विधा में परिगणित की जा सकती है।
६. उसका साइटेशन होता हो, यानि दूसरे अध्येता उसको उद्धृत करते हैं और उसे अपने विमर्श में लाते हैं।
७. उसका प्रकाशन किसी मान्यताप्राप्त प्रकाशन गृह से हुआ है।
८. रचना लिखी हुई होनी चाहिए। बोलकर, ट्रांस्क्रिप्ट प्रस्तुति को पुस्तक नहीं कहेंगे।
९. पुस्तक तथ्यों का संकलन नहीं है न उद्धरणों की व्याख्या। वह विश्लेषण और अतःप्रज्ञा का प्रकटन है।
१०. उसे लिखने वाला चरसी और गंजेड़ी न हो।

(प्रशांत की तथाकथित कुटीर उद्योग की प्रस्तुतियों को देखकर जांचना चाहिए कि क्या वह खरा उतर रहा है?)


गंभीर बात!

१+१+१

प्रशांत त्रिपाठी ने अपनी प्रबंधकीय मेधा का प्रयोग इस अर्थ में किया है कि इंटरनेट पर छा जाओ। यूट्यूब, इंस्टा, फेसबुक, एक्स, विकिपीडिया, गूगल हर जगह उसने खुद को प्रोजेक्ट किया है। उसने एक झुंड बनाया है जो दिन रात इंटरनेट पर प्रशांत का नाम खोजता, सराहता और प्रसारित करता है। झुंड को इसी की रोटी मिलती है।

इससे यह हुआ है कि आप प्रशांत, वेदांत, गीता, सनातन, हिंदू, आदि पदों के साथ खोजेंगे तो यह सर्च इंजन में सबसे पहले दर्शित होता है। फीड में आ जाने से प्रशांत को बड़ी संख्या में लोग क्लिक करते हैं और यह रक्तबीज की तरह बढ़ता जाता है।

वह तो गनीमत है कि प्रशांत की बातें अबूझ हैं। उसकी मान्यताएं अस्पष्ट हैं। वह स्वयं क्या बोलते हैं, उन्हें ज्ञात नहीं है क्योंकि वह सब पिनक में चलता है। तो इस तरह वह फीड में दिखने के बाद भी लोगों के बीच चर्चा में नहीं आता। लेकिन उसने स्पेस में स्वयं को बिठाया हुआ है।

प्रशांत का एक कॉल सेंटर है। प्रशांत के फाउंडेशन को कोई गलती से भी रजिस्टर कर ले तो इसका कॉल सेंटर सक्रिय हो जाता है और पहले प्यार से फिर धमका कर और अंत में ब्लैकमेल करके उगाही करता है। मेरे साथ फाउंडेशन के लड़के की बातचीत इसका प्रमाण है। यह बातचीत यूट्यूब पर है। लिंक साझा कर दूंगा नीचे।

प्रशांत के गीता सेशन में चाहे जो प्रबोध कराया जाता हो, लड़के सीखते गालियां हैं। यह अपने से असहमति रखने वालों को भिन्न भिन्न तरीके से डराते हैं। लोग लोक लाज और छवि का ध्यान करके इनसे दूरी बना लेते हैं। इनका झुंड उकसा कर गलत व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है और गलती होने पर मास रिपोर्टिंग करके अकाउंट सस्पेंड करा देता है। आपकी लड़ाई वहीं समाप्त हो जाती है।

प्रशांत के चिल्लर अनुयाई घुटे हुए हैं। ज्योंहि यह धराते हैं, तुरंत भूमिगत हो जाते हैं और रूप बदलकर आ जाते हैं। जब फंस जाते हैं, कहते हैं, यह हमारे समूह के लोगों का नहीं, विरोधियों का काम है।

जारी रहेगा..




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सद्य: आलोकित!

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