बुधवार, 6 नवंबर 2024

श्री हनुमान चालीसा: आठवीं चौपाई

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

भाग - दस


श्री हनुमान चालीसा की आठवीं चौपाई में हनुमान जी को रसज्ञ कहा गया है जो भगवान श्रीराम के चरित्र के गुणगान से आनंदित होता है। वह प्रभु श्रीराम के चरित्र का बखान सुनने के सदा आकांक्षी हैं। यह उनकी सर्वाधिक अभिरुचि का क्षेत्र है। रसिया वह है जो तत्त्व ज्ञान रखता है और उसमें आनंद का अनुभव करता है। जब पिछली चौपाई में कहा गया कि हनुमान जी विद्यावान हैं तो उनकी विद्या की चर्चा में तत्त्वज्ञान आया है। इस जीवन का सबसे मूल्यवान तत्त्व रामकथा में है।
हनुमान जी राम कथा सुनने के रसिया हैं और उनके मन मस्तिष्क में हमेशा श्रीराम, उनके अनुज शेषावतार लक्ष्मण और साक्षात् जगदम्बा सीता हैं। यहां यह बताने का प्रयास है कि हनुमान जी भगवान श्रीराम के अनन्य उपासक हैं। यह उपासना श्रीराम, लक्ष्मण और श्री जानकी जी के सानिध्य में है।
तुलसीदास जी ने अपने श्रेष्ठ कवित्व का परिचय यहां दिया है। वह हनुमान जी की अनन्य भक्ति का परिचय देने के लिए ऐसे पद प्रयोग करते हैं।
श्रीहनुमान चालीसा में हनुमान जी के मन में जो हैं, वह अपने संपूर्ण रूप में हम सबके मन में भी बिराजें! इसी कामना के साथ लिखिए, जय श्री हनुमान जी!

#जय_श्री_राम_दूत_हनुमान_जी_की
#हनुमानचालीसा_व्याख्या_सहित #HanuMan #आठवीं_चौपाई #चौपाई #श्री_हनुमान_चालीसा #जय_श्री_राम_दूत_हनुमान_जी_की

दसवां भाग, हनुमान चालीसा शृंखला

कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा शृंखला : तीसरी चौपाई

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे। कांधे   मूंज   जनेऊ   साजे।। संकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।। तीसरी चौपाई श्री हनुमान चालीसा श...

आपने जब देखा, तब की संख्या.