संकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
छठी चौपाई
श्री हनुमान चालीसा में छठी चौपाई में हनुमान जी को भगवान शिव का स्वरूप (सुवन) कहा गया है और उनके पिता केशरी का पुत्र बताया गया है। हनुमान जी को महान तेजस्वी, महाप्रतापी कहकर समस्त संसार के लिए वंदनीय भी कहा है।
हनुमान जी एकादश रुद्र हैं। यह भगवान शिव का एक स्वरूप है। इस चौपाई के "सुवन" शब्द का अर्थ कोई कोई पुष्प और कोई "स्वयं" भगवान शिव लेता है। लेकिन यह बात समझना चाहिए कि हनुमान जी स्वयं महादेव ही हैं। तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में सभी अध्यायों (काण्ड) के आरंभ में भगवान शिव की स्तुति की है किंतु सुंदरकांड में हनुमान जी की ही वंदना है क्योंकि वह स्वयं ही भगवान शिव हैं।
हनुमान जी के पिता महाबलशाली कपि केशरी हैं। इसलिए उन्हें केशरीनंदन कहा गया है।
हनुमान जी के व्यक्तित्व का तेज और प्रताप ऐसा है कि वह समस्त संसार में पूजनीय हैं, वंदनीय हैं।
आइए #हनुमान_चालीसा का पाठ करते हुए हम सभी हनुमान जी की वंदना करें और उनके गुणों का बखान करें।
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आठवां भाग
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