शनिवार, 24 दिसंबर 2022

बद्री नारायण की दो कविताएं

बद्री नारायण को उनकी कविता संकलन "तुमड़ी के शब्द" के लिए हिन्दी का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। बद्री नारायण हमारे समय के जाने माने कवि और समाज विज्ञानी हैं। वह कविता के साथ साथ देश दुनिया के विविध सामाजिक विषय पर विचार करते रहते हैं। पढ़िए उनकी दो चर्चित कविताएं।


(१)

'दुलारी धिया'


पी के घर जाओगी दुलारी धिया

लाल पालकी में बैठ चुक्के-मुक्के

सपनों का खूब सघन गुच्छा

भुइया में रखोगी पाँव

महावर रचे

धीरे-धीरे उतरोगी


सोने की थारी में जेवनार-दुलारी धिया

पोंछा बन

दिन-भर फर्श पर फिराई जाओगी

कछारी जाओगी पाट पर

सूती साड़ी की तरह

पी से नैना ना मिला पाओगी दुलारी धिया


दुलारी धिया

छूट जाएँगी सखियाँ-सलेहरें

उड़ासकर अलगनी पर टाँग दी जाओगी


पी घर में राज करोगी दुलारी धिया


दुलारी धिया, दिन-भर

धान उसीनने की हँड़िया बन

चौमुहे चूल्हे पर धीकोगी

अकेले में कहीं छुप के

मैके की याद में दो-चार धार फोड़ोगी


सास-ससुर के पाँव धो पीना, दुलारी धिया

बाबा ने पूरब में ढूँढा

पश्चिम में ढूँढा

तब जाके मिला है तेरे जोग घर

ताले में कई-कई दिनों तक

बंद कर दी जाओगी, दुलारी धिया


पूरे मौसम लकड़ी की ढेंकी बन

कूटोगी धान


पुरईन के पात पर पली-बढ़ी दुलारी धिया


पी-घर से निकलोगी

दहेज की लाल रंथी पर

चित्तान लेटे


खोइछे में बाँध देगी

सास-सुहागिन, सवा सेर चावल

हरदी का टूसा

दूब


पी-घर को न बिसारना, दुलारी धिया।


(२)

प्रेमपत्र 


किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा

चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा
ऋषि आयेंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र

बारिश आयेगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आयेगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र ही लगाई जाएंगी

सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आयेंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे

 

प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचायेंगे
कोई नहीं बचायेगा प्रेमपत्र

कोई रोम बचायेगा कोई मदीना
कोई चांदी बचायेगा कोई सोना

मै निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र।

कथा वार्ता की प्रस्तुति 


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