शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

कथावार्ता : क्रिसमस डायरी


-डॉ रमाकान्त राय

(फेसबुक पर हर वर्ष क्रिसमस पर कुछ न कुछ लिखता रहा हूँ। इस साल उन सबको एकसाथ रखकर देखने का यह प्रयास है। इस वर्ष हमने बाइबिल खरीदी। कुछ हिस्से पढ़े। बहुत सा अपठित रह गया है। बीते वर्षों में फेसबुक पर किए गए यह पोस्ट एक डायरी की तरह लगे। इन्हें एकत्र करने का यह प्रयास है।)


25 दिसम्बर2020         

           पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान।

          भीलन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बान॥

          महाभारत के उत्तर पक्ष में जब श्रीकृष्ण को प्रभास तीर्थ जाना हुआ तो उन्होंने अर्जुन को बुलाया और राज्य के युवतियों, राजकुमारियों और रानियों की सुरक्षा का भार सौंप दिया। अर्जुन उन्हें लेकर हस्तिनापुर लौट रहे थे। राह में भीलों ने उन्हें लूट लिया। गांडीव और दिव्यास्त्रों से लैस, महापराक्रमी अर्जुन असहाय रह गए। तब यह स्थापना बनी कि समय बहुत बलवान होता है।

          अंग्रेज़ यूरोप के देशों में सबसे शक्तिशाली थे। रोम के पोप ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए जब यूरोपीय लोगों को प्रवृत्त किया तो उसमें से फ्रांस, हॉलैंड, पुर्तगाल और ब्रिटेन सबसे बड़े अभियान कर्ता बनकर निकले। व्यापार के बहाने इन्होंने बाइबिल का संदेश और नस्लीय श्रेष्ठता का भाव दुनिया भर में फैलाया और सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक लूट मचाई। ब्रिटेन का प्रभाव तो दुनिया में ऐसा बना कि यह कहावत बन गयी कि इस देश का सूरज कभी नहीं डूबता। लेकिन समय की बात!

          दुनिया के एक बड़े हिस्से में राज कर चुके, अपनी सांस्कृतिक सत्ता स्थापित कर चुके ब्रिटेन को इस क्रिसमस और नव वर्ष पर अलग-थलग पड़ जाना पड़ा है। क्रिसमस के आगमन तक यूरोपीय यह सोच रहे थे कि वह लोग फिर से अपने त्योहार उल्लासपूर्वक मना सकेंगे । लेकिन कोरोना की नयी लहर ने उसे दुनिया से काट दिया है। जब समूची दुनिया में क्रिसमस और नए वर्ष की धूम है, ब्रिटेन आने-जाने वाली उड़ानें रद्द हैं, फ्रांस आदि देशों ने आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति रोक दी है। कौन जानता था कि ईरान, इराक, कोरिया, भारत आदि देशों पर बात-बात में प्रतिबंध की घोषणा करने वाले इन देशों को ऐसे समय में अलग-थलग पड़ जाना पड़ेगा।

          आगामी गणतन्त्र दिवस पर हम ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री श्री बोरिस जॉन्सन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर रहे हैं। यह हमारी सहिष्णुता और उदारता का तथा विशाल हृदय का परिचायक है कि हम अपने गणतन्त्र के उत्सव के दिन उनके प्रमुख को आमंत्रित कर रहे हैं।

          क्रिसमस पर एक चुहल भरा वाक्य पढ़ने को मिला- यह मुझे अच्छा लगा—“मेरी क्रिसमस में तू नहीं शायद!” और

          यह संवाद भी- -“मेरी क्रिसमस!”

                             -“आई एम आलरेडी मैरिड!”

कथावार्ता : हुसैन की कलाकृति

           

25 दिसम्बर, 2019

          कल रात को सान्ता नहीं आया था। लेकिन मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह जरूर आएगा।

          दुनिया के सबसे वैज्ञानिक धर्म की मान्यता झूठी नहीं हो सकती।

 

25 दिसम्बर, 2018


कथावार्ता : क्रिसमस इव पर विशेष


25 दिसम्बर, 2016

          मुझसे क्रिसमस और सांता के उपहार आदि को लेकर बधाई देते नहीं बन रहा। कल पूर्व संध्या पर जैसे ही समाचार सुना कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ ठगबंधन कर लिया है और महज 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तब मुझे मेरे बड़े भैया का ख्याल आया। वह अपने बहुत करीबी डॉ अरविन्द किशोर राय को लेकर बहुत उत्साहित थे। अरविन्द किशोर जी हमारे क्षेत्र में कई बार आ चुके थे और कांग्रेस से उम्मीदवारी को लेकर बहुत आश्वस्त थे। मुझे मेरे सहपाठी दोस्त का ख्याल भी आया।

          खैर, यह गठबंधन हो गया है और समाजवादी पार्टी 301 सीट पर चुनाव लड़ेगी। काश यह आंकड़ा 302 का होता या 303 का तो हम कुछ चुहलबाजी भी कर लेते। कांग्रेस 80 सीट पर। कांग्रेस के लिए यह शर्मसार करने वाला आंकड़ा होना चाहिए लेकिन जैसा कि तय हो गया है कि वह अपनी जगह खोज रही है कि कहीं तो बैठने को मिले!!

          इस गठबंधन से एक चीज और स्पष्ट हुई है कि इस समय राजनीति में गुंडई और भ्रष्टाचार का मेल ही सच है। हमारा उत्तर प्रदेश अभी भी जातिवादी राजनीति और जोड़तोड़ में लिथड़ा रहेगा।       

          क्रिसमस पर झींगुर बेल झींगुर बेल की कर्णप्रिय ध्वनि के साथ आइये उत्तरप्रदेश के लिए प्रार्थना करें।


25 दिसम्बर, 2015

          रात को हम जल्दी सुत गये थे। निधड़क सुते। मीठा और पवित्र सपना देखने के लिए कौनो वर्जना भी नहीं रखे। मस्त आदिम नियन सुते। कुण्डी भी नहीं लगाया। सान्ता को सुविधा थी कि वह 'कुण्डी मत खड़काओ राजा, सीधा अंदर आओ राजा' की तरह ढुके और मेरी क्रिसमस के दिन के लिए ढेर सारा उपहार रख दे। सांता न आये तो कोई दोसरा ही आ जाए।

          लेकिन हाय रे मेरी किस्मत! एक चूहा तकले नहीं आया। एगो कुक्कुर बिलार तक नहीं आया। कौनो उपहार नहीं दिखा।

          मेरी क्रिसमस पर 'अच्छे दिन' का ख्वाब पाले हुए हेतना दिन चढ़ आया लेकिन सब निरासाजनक है। एक भी खुसी का समाचार नहीं है। आज चर्च जाने का सोचा हूँ। सायद, उहाँ कुछ नीमन चीज मिल जाय।

          मैं ईद बकरीद नहीं मनाता, होली दीवाली की खूब आलोचना करता हूँ, लेकिन बड़ा दिन आने को हो तो खूब तैयार रहता हूँ।

मैं जानता हूँ कि आपके मन में यह बात है कि सबसे अधिका असहिष्णु तो ईसाई ही हैं लेकिन आप उनकी तरफ बात नहीं करते। उनके पास बहुत पैसा है न। उ सब साइलेंटली धर्म परिवर्तन करवाते हैं और अपना सब साइलेंटली ही करते हैं।

          बड़ा दिन वाले छोटा दिलवाले होते हैं। ऊ सब मेरी क्रिसमस मनाते हैं।

          हम तेरी क्रिसमस भी कहते हैं। बड़ा दिन अच्छा दिन में कन्वर्ट हो जाय। सब हिन्दू लोग क्रिश्चियन में कन्वर्ट हो जाय।

          सब सुखी रहें। सब मस्त रहें।

 

कथावार्ता : हुसैन की कलाकृति

25 दिसम्बर, 2014

          आज एक मॉल के बगल से गुज़रा तो एक सांता को मॉल के गेट पर उल जलूल हरकत करते पाया। वह राह चलते लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था और मॉल में आने के लिए अनुनय विनय कर रहा था। आज के दिनभर के लिए उसे दो-तीन सौ रुपये मिले होंगे।

          सांता इन धनकुबेरों का गुलाम है। ईसा का मजहब भी अछूता नहीं। यह मसीही समुदाय जो करूणा को इतना महत्त्व देता है, वह भी कुबेर की कृपा से ही।

          असम में हुई नृशंस हत्याओं पर कोई सांता दुखी मिला क्या? पोप?

          जाने दीजिये।

          आज का दिन बहुत शानदार रहा। विविधता भरा। समृद्ध।

 

25 दिसम्बर, 2013

          कायदे से सांता क्लाज को क्रिसमस इव को मुजफ्फरनगर के राहत शिविर में पहुँचना चाहिए था। आज भी चाहे तो वह भूल सुधार कर सकता है। लेकिन सुना है कि सभी धर्मों में मिथकीय देवता सिर्फ उन्हीं धर्म के मतानुयायियों के पास पहुँचते हैं। मुजफ्फरनगर के राहत शिविर में तो कोई ईसाई नहीं होगा। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को भी धर्म खाँचे में रखता है।

          भारत में ईसाई सबसे कम हैं। कायदे से अल्पसंख्यक वही हैं। लेकिन क्रिसमस की धूम, हर तरफ बधाइयाँ, मानवता का सन्देश और अनेकों चोंचले चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि यह सब कुछ आर्थिक आधार से तय होता है। अगर ईसा के धर्म को मानने वाले दुनिया में इस कदर संपन्न न होते और उनका दबदबा समूचे विश्व में न होता तो क्रिसमस भी बस यूँ ही आता और जाता।

          बीएसएनएल आज इतना उत्साहित है कि सभी टैरिफ स्थगित कर दिया है और सन्देश भेजने पर फुल चार्ज कर रहा है। फोन करके बधाई दूँगा या मैसेज भेजूँगा तो आज 'मेरी क्रिसमस' की जगह 'तेरी क्रिसमस' हो जायेगा।

          रहना नहीं देस बिराना है....


25 दिसम्बर, 2012

          और यह भी कि जितने समृद्ध लोगों का त्यौहार उतना ज्यादा वैभव का प्रदर्शन।

          क्रिसमस भी कोई अपवाद नहीं है।

          मेरी क्रिसमस - तेरी भी क्रिसमस! हैप्पी क्रिसमस!!


असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी

राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय

इटावा, उ०प्र०

9838952426, royramakantrk@gmail.com


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