मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

एकल व्याख्यानमाला में मेरा पहला व्याख्यान हो गया.

व्यख्यान की रूपरेखा

कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा

दोहा -  श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।  बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार।  बल बुद...

आपने जब देखा, तब की संख्या.