कल यानि ३० अप्रैल, २०१० को महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के इलाहाबाद
विस्तार केंद्र पर कथाकार नीलम शंकर के कहानी संग्रह "सरकती रेत" पर पुस्तक चर्चा आयोजित है।
वर्धा विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय विभूति नारायण राय, कहानीकार, उपन्यासकार
और आलोचक दूधनाथ सिंह, कवि
बद्रीनारायण जैसे लोगों के बीच मैं भी चर्चा करूँगा। यह पहली बार होगा कि मैं किसी
बड़े मंच से किसी पुस्तक पर चर्चा करता नज़र आऊंगा।
मैं इस होने वाली परिचर्चा से बहुत रोमांचित हूँ और थोडा नर्वस भी।
मैं जानता हूँ कि यह परिचर्चा मेरे लिए बहुत मायने रखेगी। नीलम शंकर की कहानी
में मध्यवर्ग का जो चित्रांकन है, मैं उसपर बात करूँगा। मैं चाहूँगा बात करना कि
उनकी कहानी में स्त्री का कैसा चित्रण है।
मैं कल जब चर्चा करके आऊंगा तो आपको विस्तार से इसके बारे में
बताऊंगा। मैं जानता हूँ कि यह बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कोई भी टिप्पणी मुझे आधार रूप में रखना है। मेरे लिए ये
करना संभव होगा? देखेंगे, लाजिम है के हम भी देखेंगे.....
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