विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
सातवीं चौपाई
श्रीहनुमान चालीसा की सातवीं चौपाई में हनुमान जी को विद्यावान, गुणी और अत्यन्त चतुर बताया गया है। हनुमान जी विद्यावान हैं। वह विद्या के जानकार तो हैं ही, नियामक भी हैं। भारतीय सनातन परंपरा में विद्या और अविद्या बहुत गूढ़ विषय हैं। विद्या का मूल अर्थ है, सत्य का ज्ञान, परमार्थ तत्व का ज्ञान या आत्मज्ञान। इसके दो रूप हैं - परा और अपरा विद्या।
हनुमान जी गुणी कहे जाते हैं। और अत्यन्त चतुर भी। विद्या और गुण की उपस्थिति से यह चातुर्य आ ही जाता है। ऐसे अनेक अवसर रामायण में आए हैं जब हनुमान जी ने अपनी चतुराई से सफलता प्राप्त की है।
हनुमान जी के लिए एक अर्द्धाली में यह कहकर मान दिया गया है कि वह भगवान श्रीराम का काम करने के लिए आतुर हैं। आतुर में त्वरा है, शीघ्रता है और इससे काम शीघ्र ही संपन्न हो जाता है। इस प्रकार हनुमान जी की उपस्थिति से ही काम पूरा होने की संभावना शत प्रतिशत हो जाती है।
विद्यावान गुणी और अत्यन्त चतुर हनुमान जी को हम बारम्बार प्रणाम करते हैं और उनके चरणों में अपना शीश नवाते हैं!🙏
भाग - नौ
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नवां भाग, हनुमान चालीसा शृंखला
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