बुधवार, 17 अप्रैल 2024

आम गज़ल

आम फलते रहेंगे बागों में

रोज निकलेगी बात आमों की।


कड़ा पहरा है अबकी आमों पर

रस में डूबेंगे कैसे आमों की।।

कच्चा आम


आम का साथ साथ आमों का 

आम की बात बात आमों की।


आम तो आम है, कोई खास नहीं

कब  लगेगी नुमाइश  आमों की।


आम देखूं तो ललक उठती है

दिल में उठती है हूक आमों की।


आम देखा तो होंठ याद आए

याद आती गई हैं आमों की।


आम की फस्ल आम नहीं होती

कई  कलमें  लगेंगीं  आमों की।


रसाल


#चार_आम

3 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर ❤️ 🥭

Sujeet tiwari ने कहा…

आम देखा तो होंठ याद आए
याद आती गई हैं आमों की।
बहुत सुंदर💙

बेनामी ने कहा…

आम का साथ साथ आमों का
आम की बात बात आमों की।

सद्य: आलोकित!

गिल्लू : महादेवी वर्मा

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