बहुत दिन के बाद आज खाने
में खीर मिली तो सोचा कि इस मनपसंद व्यंजन पर कुछ रसमयी चर्चा हो। आज जो हमने खाया, यह वास्तव में तसमई थी। जब पर्याप्त मात्रा में दूध हो। महीन चावल निखालिस
दूध में पकाया जाए। मेवा-मिश्री (शक्कर) पड़े, तो जो
स्वादिष्ट व्यंजन बनेगा, वह है तसमई। लेकिन हमने इसे खीर का
नाम दिया है।
बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि
खीर वह है जिसमें दूध में चावल पके और अंत मे गुड़ मिलाया जाए। खीर शब्द क्षीर का
तद्भव ही है। क्षीर दूध को ही कहते हैं। नीर-क्षीर विवेक का पद
तो खूब प्रचलित है। त्रिदेवों में कल्याणकारी देव विष्णु का निवास क्षीरसागर में
ही कहा गया है। ध्यान रखें कि गुड़ पहले मिलाया तो दूध फट जाएगा और खीर का मजा जाता
रहेगा। तो खीर बनती है गुड़ मिश्रित करने से।
एक दूसरा व्यंजन है बखीर।
जब कचरस में चावल पके। वह भी नया चावल। आजकल हमारे घर में सरजू बावन कटने लगा है
और एकदम नए चावल का भात भी मिल रहा है, ऐसा माताजी
बता रही थीं। तो नया चावल मतलब इस मौसम का चावल। कचरस मतलब गन्ने का
पेरा हुआ कोल्हाड़ से आया हुआ ताजा रस। उसी में चावल पकाते हैं और बाद में थोड़ा सा
दूध मिला देते हैं। तो बनता है बखीर। बताता चलूं कि न तो मुझे खीर पसंद है न बखीर।
यद्यपि लालसा रहती है उर्वशी को पाने सरीखी।
एक चौथा व्यंजन बाद के समय
मे लोकप्रिय हुआ है- सिवई। शमीम मियां ने एकबार सूखी सिवई खिलाई थी तबसे मेरे पाक
में कोशिश वही सूखी सिवई बनाने की रहती है जिसमें दूध खोए की तरह हो जाता है और
ड्राई फ्रूट्स तैरते रहते हैं। तसमई के प्रेमी हम भाई-बहन सिवई भी तसमई की तरह
बनाते रहे हैं। मेरे बड़े भाई श्री शशिकान्त राय का दावा है कि वह तसमई बहुत
स्वादिष्ट बनाते हैं। हालांकि हम सब उन्हें यह जिम्मा सौंपते हुए हमेशा डरते रहते
हैं और वह बहुत उत्साह से बनाते हैं। और हम खा भी लेते हैं। खैर,
तो मीठे ने ऐसे हमारे रसोई
में जगह बनाई थी कि जिस दिन तसमई बन जाती थी, उस दिन हम
अतिप्रसन्न रहते। राजसी भोजन ग्रहण करते।
अब तो जीवन में पश्चिमी
जीवन शैली ने ऐसे जगह बना ली है कि मीठा कई घरों की रसोई से गायब हो गया है।
रेस्तरां और होटल के नवाचारी खाद्य और ऐसे पकवान जिसमें फ्यूजन है, ने हमें घेर लिया है। शीत ऋतु का आरंभ हो गया है तो आजकल गज़क मिलने लगा
है। पहले गज़क तिल मिश्रित ही होता था। अब देखता हूँ कि गेंहू का गज़क भी मिलने लगा
है। पित्जा और बर्गर और अनापशनाप ने हमें भ्रष्ट कर रखा है।
जिनकी
थाली में आज भी कोई मीठा पकवान सुरुचिपूर्ण ढंग से रखा है, वह
मेरे देखे सबसे अधिक भाग्यशाली है।
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5 टिप्पणियां:
सर प्रणाम
आप की लेखनी और बौद्धिक ज्ञान का कायल हु।आपको ट्विटर पर भी फॉलो करता हु।आपसे बहुत कुछ सीखता भी हुं।
धन्यवाद सर।
अच्छा है। अन्तर स्पष्ट करने के लिए धन्यवाद।
बढ़िया।
मेरा ज्ञानवर्धन हुआ।
इन भेदों से पूर्वपरिचित न था।
धन्यवाद!
खीर पर इतना मीठा मीठा लिख तो दिया, खिलाने की बारी कब आयेगी...
Achcha hai
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