-डॉ रमाकान्त राय
आज महाराजा सुहेलदेव राजभर
की जयंती है। महाराजा सुहेलदेव का जन्म बहराइच में बसंत पंचमी के दिन 990 ई0 में हुआ
था। वह सन 1027 ई0 से 1077 ई0 तक श्रावस्ती के राजा रहे। सुहेलदेव ने सन 1034ई0 में
बहराइच में गाजी सालार मसूद को बुरी तरह परास्त किया था। इस युद्ध में उनकी सहायता
कई छोटे छोटे राजाओं ने की थी। गाजी सालार मसूद महमूद गजनवी का भांजा था जो गजनवी के
गजनी लौटने के बाद अभियान का नेतृत्व कर रहा था। आज बहराइच में गाज़ी की मजार है
जबकि सुहेलदेव का नाम भी कुछ साल पहले तक कोई नहीं जानता था।महाराजा सुहेलदेव राजभर
महाराजा सुहेलदेव राजभर ने आजीवन लोक की रक्षा की, आम जन और स्त्रियों के शील की रक्षा के लिए युद्ध किए और गाज़ी सालार मसूद को परास्त किया।
जब फिरोज तुगलक शासक बना
तो उसने सुहेलदेव के स्मारक नष्ट कर दिए और गाजी को पीर औलिया बना दिया। फिर जब
देश का इतिहास लिखा जाने लगा तो राजभर (सुहेलदेव), पासी (महाराजा बिजली पासी),
खरवार (सोनभद्र में इनके वंशज हैं), गोंड
(गोडवाना लैंड एक विस्तृत क्षेत्र है), यादव (लोरिक) आदि
जातियों को सांस्कृतिक संदर्भ से विच्छिन्न कर दिया। अनुपम मिश्र ने अपनी पुस्तक 'आज
भी खरे हैं तालाब' में तालाब के निर्माण की भूमिका के क्रम में मुसहर लोगों का उल्लेख
किया है और बताया है कि मुसहर समाज में “चोहरमल उनके एक शक्तिशाली नेता थे किसी समय”।
उनकी पुस्तक के तीसरे अध्याय संसार सागर के नायक में ऐसे कई समुदायों का वृतांत मिलता
है।
देश की एक बड़ी आबादी को बताया कि तुम महज शासित रहे हो और सदा सर्वदा से वंचित। समुदायों में फूट डालने का सफल प्रयास हुआ। लोगों में वैमनस्यता बढ़ाने के उपक्रम हुए और फिर वर्तमान धारणा बनी।महाराजा सुहेलदेव उस धारणा के विपरित एक ज्वलंत नाम है। जो शासन की क्षमता रखता है- वही राजा है।
सुहेलदेव का राज्य बनारस, गाजीपुर,
मऊ, आजमगढ़ तक विस्तृत था। कहा जाता है कि
बनारस का प्रसिद्ध राजातालाब महाराजा सुहेलदेव राजभर ने बनवाया था। वह प्रजावत्सल
शासक और महान योद्धा थे।
भारत सरकार ने वर्ष 2018 में
उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया था। वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने महाराजा
सुहेलदेव एक्सप्रेस नामक एक रेलगाड़ी चलाई जो नई दिल्ली और गाजीपुर को जोड़ती है। वर्ष
2021 में महाराजा सुहेलदेव के विजय स्थल पर स्मारक बनाया जा रहा है और विभिन्न सांस्कृतिक
कार्यक्रमों द्वारा उनके योगदान को याद किया जा रहा है।
उनकी
जयंती पर भावपूर्ण स्मरण।
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी
राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
इटावा, उ०प्र०
9838952426, royramakantrk@gmail.com
1 टिप्पणी:
आपका लेख पढ़ने के बाद मुझे राजा सुहेलदेव पर अमिश की पुस्तक की अच्छी यादें मिलती हैं। अच्छे लेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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