गुरुवार, 22 नवंबर 2012

रसूल हमजातोव की एक खूबसूरत पंक्ति.

बड़ा साहित्य तरकारी खरीदने की भाषा में लिखा जाता है -- यानी निपट सरल, सहज भाषा में!
 

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सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा

दोहा -  श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।  बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार।  बल बुद...

आपने जब देखा, तब की संख्या.