बुधवार, 24 जनवरी 2024

वर्षाशन: मानस शब्द संस्कृति

 

वर्षाशन


गुरु सन कहि बरषासन दीन्हे।

आदर दान बिनय बस कीन्हे।।

व्यक्ति के एक साल में उपभोग होने वाली खाद्य सामग्री; मोटे तौर पर सीधा पिसान #वर्षाशन कहा जाता है। वनगमन से पूर्व श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से कहकर याचकों को अन्नादि वितरित किए। सामान्यतया आटा, दाल, कंद, हल्दी और नमक का सीधा होता है।

#मानस_शब्द #संस्कृति


मंगलवार, 23 जनवरी 2024

बालतोड़: मानस शब्द संस्कृति

बालतोड़

 

दलकि उठेउ सुनि हृदय कठोरू।
जनि छुइ गयउ पाक बरतोरू।।

ऐसा फोड़ा जो रोमकूप के उखड़ जाने से हो जाए। इस फोड़े का सिरा बहुमुखी हो जाता है। इसमें कई खील होते हैं। यह बहुत कष्टदायक होता है। महाराजा दशरथ द्वारा राम को युवराज बनाने की बात पर कैकेई का हृदय #बालतोड़ छू जाने जैसा दलक गया।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति

रविवार, 21 जनवरी 2024

कोप भवन: मानस शब्द संस्कृति

श्रीरामचरितमानस अयोध्याकांड २.२५


कोपभवन सुनि सकुचेउ राऊ।

भय बस अगहुड़ परइ न पाऊ।।

घर का एक कक्ष जिसमें कोई क्षुब्ध होकर रहने लगे, वह #कोपभवन है। बड़े घरों में यह व्यवस्था भी रहती होगी। राजा अपने प्रजाजन का समाचार विविध तरीके से लेता था। यह कक्ष कोप बताने के निमित्त था। कैकेयी को वहां जान कर राजा सहम गए।

#मानस_शब्द_संस्कृति

शनिवार, 20 जनवरी 2024

ठकुरसुहाती: मानस शब्द संस्कृति

हमहुं कहबि अब ठकुरसोहाती। 
नाहिं त मौन रहब दिनु राती।। 

अपने स्वामी/ठाकुर को प्रिय लगने वाली बातें करना #ठकुरसुहाती है। सभा में ऐसे लोग विशेष कृपा पात्र होते हैं जो यह कर पाते हैं। इसे मुंहदेखी बातें करना भी कहते हैं। जैसा मुंह/मूड, वैसी बात। चापलूसी, झूठी प्रशंसा इसके लक्षण हैं।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

षोडशोपचार : मानस शब्द संस्कृति

 गुरु आगमनु सुनत रघुनाथा।

द्वार आइ पद नायउ माथा।।

सादर अरघ देइ घर आने।
सोरह भांति पूजि सनमाने।।

वैदिक रीति से पूजन की एक पद्धति षोडशोपचार कही जाती है जिसमें १६ अंग हैं। इसमें आवाहनम्, आसनम, पाद्यम, अर्घ्यम, आचमनीयम, स्नानम, यज्ञोपवीतम, वस्त्रम, अक्षता:, पुष्पाणि, धूपम, दीपम, नैवेद्य, दक्षिणा, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा १६ उपचार हैं। प्रदक्षिणा अर्थात इष्ट का चक्कर लगा करके यह उपचार पूर्ण होता है।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति


षोडशोपचार


शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

चतुरसम : संस्कृति का एक शब्द

मंगलमय निज निज भवन, लोगन्ह रचे बनाइ।

बीथीं सींचीं  चतुरसम  चौकें  चारु  पुराइ।


आजकल गलियों को सज्जित करने के लिए चूना गिराया जाता है। पुराने जमाने में चन्दन, केशर, कस्तूरी और कपूर को समान मात्रा में मिलाकर एक सुगंधित द्रव बनाया जाता था, जिसे #चतुरसम कहा जाता है। भगवान श्रीराम का बारात लेकर जब महाराजा दशरथ निकले तो गलियों को चतुरसम से अभिसिंचित किया गया।
यह भारतीय #संस्कृति की श्रेष्ठता का परिचायक भी है।

#शब्द

चतुरसम


गुरुवार, 11 जनवरी 2024

गंग की चर्चित कविता

सब देवन को दरबार जुरयो तहँ पिंगल छंद बनाय कै गायो
जब काहू ते अर्थ कह्यो न गयो तब नारद एक प्रसंग चलायो,
मृतलोक में है नर एक गुनी कवि गंग को नाम सभा में बतायो।
सुनि चाह भई परमेसर को तब गंग को लेन गनेस पठायो।।

सद्य: आलोकित!

जातिवादी विमर्श में चमकीला

 एक फिल्म आई है #चमकीला नाम से। उसके गीत भी हिट हो गए हैं। फिल्म को जातिवादी कोण से इम्तियाज अली ने बनाया है जो चमकीला नाम के एक पंजाबी गायक...

आपने जब देखा, तब की संख्या.