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सद्य: आलोकित!

अपरुप के कवि : विद्यापति

 विद्यापति अपरूप सौंदर्य के कवि हैं। शृंगार वर्णन के क्रम में जब वह रूप वर्णन करते हैं तो उनकी दृष्टि प्रगल्भ हो उठती है। वह मांसल भोग करने ...

आपने जब देखा, तब की संख्या.