शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

रसाल : मानस शब्द संस्कृति

जनि जल्पना करि सुजसु नासहि नीति सुनहि करहि छमा।

संसार महँ पूरुष त्रिबिध पाटल रसाल पनस समा॥
एक सुमनप्रद एक सुमन फल एक फलइ केवल लागहीं।
एक कहहिं कहहिं करहिं अपर एक करहिं कहत न बागहीं॥
रसाल : मानस शब्द संस्कृति 


श्रीराम-रावण संग्राम में प्रभु कहते हैं कि संसार में तीन प्रकार के पुरुष हैं- पाटल (गुलाब), #रसाल और पनस (कटहल) जैसे। इसमें रसाल यानी आम ऐसा है, जिसमें फूल और फल दोनों लगते हैं। ऐसे पुरुष जो कहते हैं और उसे करते भी हैं।
पाटल में केवल फूल लगता है, ऐसे पुरुष केवल कहने में विश्वास करते हैं।
पनस यानी कटहल में केवल फल लगता है, ऐसे पुरुष केवल करते हैं, कहने में भरोसा नहीं करते।
कहना न होगा कि इसमें #रसाल श्रेष्ठ है।
व्यक्तिगत स्तर पर मुझे यह फल प्रिय है। आपने #चार_आम की शृंखला न जानी तो क्या किया।

#मानस_शब्द #संस्कृति

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

यानि को कृपया यानी कर दें। वैसे आपकी यह शृंखला बहुत सुंदर है । कृपया इसे जारी रखें ।

डॉ रमाकान्त राय ने कहा…

धन्यवाद। आपके कहने के अनुसार मैंने यानी लिख दिया है। यही कोश में भी है।धन्यवाद, पुनः।

सद्य: आलोकित!

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