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शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

दुघड़िया: मानस शब्द संस्कृति

 

दुघड़िया: मानस शब्द संस्कृति 

दुघरी साधि चले ततकाला।

किए बिश्राम न मग महिपाला।।

राजा जनक को जब भरत के सपरिवार चित्रकूट जाने का समाचार मिला तो उन्होंने #दुघड़िया मुहूर्त शोधकर यात्रा शुरू कर दी।
यहां मैं फंस गया हूं। सुधीजन बताएं कि यह कैसा मुहूर्त है? पञ्चांग में चौघड़िया मुहूर्त के बारे में तो है, इसके नहीं।

#मानस_शब्द #संस्कृति


ईति भीति : मानस शब्द संस्कृति 

ईति भीति जनु प्रजा दुखारी।

त्रिविध ताप पीड़ित ग्रह मारी।।


तुलसीदास जी ने बताया है कि #ईति_भीति से प्रजा दु:खी हो जाती है! अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चूहों का उत्पात, टिड्डियों का हमला, तोतों की अधिकता और दूसरे राजा का आक्रमण- खेतों को क्षति पहुंचाने वाले छ: उपद्रव ईति हैं। तीनों ताप, आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक; क्रूर ग्रहों का दोष और महामारियों से पीड़ित प्रजा। दुःख के कई प्रकारों का उल्लेख है।

इनका भय दु:खद है।


#मानस_शब्द #संस्कृति


सद्य: आलोकित!

आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति

करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।। आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति  जब भगवान श्रीराम अयोध्या जी लौटे तो सबसे प्रेमपूर्वक मिल...

आपने जब देखा, तब की संख्या.