सब देवन को दरबार जुरयो तहँ पिंगल छंद बनाय कै गायो
जब काहू ते अर्थ कह्यो न गयो तब नारद एक प्रसंग चलायो,
मृतलोक में है नर एक गुनी कवि गंग को नाम सभा में बतायो।
सुनि चाह भई परमेसर को तब गंग को लेन गनेस पठायो।।
रीतिकालीन कवि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रीतिकालीन कवि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुरुवार, 11 जनवरी 2024
गंग की चर्चित कविता
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सद्य: आलोकित!
आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति
करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।। आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति जब भगवान श्रीराम अयोध्या जी लौटे तो सबसे प्रेमपूर्वक मिल...