लंका दहन कर चुके हनुमान जी की छवि रावण के मन में कैसी थी! यह सोचकर किंचित रोमांच हो आता है।
जब रावण ने कुछ गुप्तचरों को भगवान श्रीराम की सेना की टोह लेने के लिए भेजा तो उन्हें पकड़कर बानरों ने बहुत मारा। किसी किसी तरह दुहाई देकर जब वह लौटे तो रावण के बार बार पूछने पर एक ने बताया
"जेहिं पुर दहेउ हतेउ सुत तोरा।
सकल कपिन्ह महँ तेहि बलु थोरा।।"
जिसने तुम्हारे नगर को जलाया और जिसने तुम्हारे पुत्र को मारा, वह सभी कपियों में सबसे कम बलवाला है। हनुमान जी ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार को सबसे पहले मारा था। रावण के गुप्तचर उसे सबसे कम शक्ति वाला बताकर एक भय निर्मित करते हैं।
जब सेतु बंधन हो जाता है तो मंदोदरी रावण को समझाते हुए कहती हैं -
बारिधि नाघि एक कपि आवा।
तासु चरित मन महुं सबु गावा।।
समुद्र लांघ कर एक बंदर आया था, उसके बारे में तो आपलोग जब तब याद करते रहते हैं। और तब आप लोगों की भूख भी मर गई थी!
अंगद राजदूत बनकर जाते हैं तो रावण हनुमान जी को याद करते हुए कहता है -
"है कपि एक महा बलसीला।।"
वही जो
"आवा प्रथम नगरु जेहिं जारा।"
तब अंगद कहते हैं कि हे रावण! जिसे आप सुभट कह रहे हैं, महान योद्धा; "सो सुग्रीव केर लघु धावन।।" वह महाराज सुग्रीव का एक छोटा सा, दौड़कर चलने वाला हरकारा है।
हनुमान जी के बारे में बात करने वाले लोगों ने भी हनुमान जी को हनुमान जी बनाया है!
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"जय हनुमान जी🙏"
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