जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहूं लोक उजागर।।
पहली चौपाई
हनुमान चालीसा में जो चालीस की संख्या है, वह चौपाई छंद के लिए है। हनुमान जी के स्वरूप और माहात्म्य का वर्णन चालीस चौपाइयों में किया गया है। पहली चौपाई में हनुमान जी की जय कहते हुए उन्हें ज्ञान और गुण का समुद्र कहा गया है। अर्थात् हनुमान जी का व्यक्तित्व ज्ञान और गुण का ही रूप है। हनुमान जी को ज्ञानियों में अग्रगण्य कहा गया है। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड में तुलसीदास जी ने "ज्ञानिनाम्अग्रगण्यम" कहकर उनकी वंदना की है। चौपाई के दूसरे चरण में उन्हें कपीश अर्थात कपियों का इष्ट कहा गया है और तीनों लोक को उजागर करने वाला। तीन लोक अर्थात भूलोक, पाताललोक और स्वर्गलोक। यह तीनों लोक, तीन प्रकार के प्राणियों का स्थान माना गया है। भूलोक मानव का, पाताल लोक नाग तथा दैत्यों का और स्वर्गलोक देवताओं का निवास स्थान है। हनुमान जी की महिमा इन सबमें व्याप्त है और वह इन सबको प्रकाशित करने वाले हैं।
इस पहली चौपाई में हनुमान जी की वंदना करते हुए उनकी जय की गई है। यहां यह बताना आवश्यक होगा कि #दोहा की तरह #चौपाई भी एक मात्रिक छंद है। लेकिन यह सम छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 16 मात्रा होती है। हनुमान जी की वंदना इसी छंद में चलती है।
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