रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।।
दूसरी चौपाई
#श्रीहनुमानचालीसा की दूसरी चौपाई में हनुमान जी को रामदूत कहा गया है और अतुलनीय बल का पवित्र स्थान (धाम) बताया गया है। उन्हें उनकी मां अंजनी के साथ जोड़कर संबोधित किया गया है और फिर उनके पिता पवन से भी।
हनुमान जी की उपाधि "रामदूत" है। श्री जानकी जी का पता लगाने के लिए भगवान श्रीराम ने उन्हें अधिकृत किया। जब वह लंका पहुंचे तो सीता जी को उन्होंने अपना परिचय रामदूत कहकर ही दिया। इस विरुद को वह अपने नाम से अभिन्न रूप से जोड़ते हैं। श्री जानकी जी का स्नेह इसके बाद उन्हें प्राप्त हुआ और यह आशीर्वाद भी कि वह अष्ट सिद्धि नौ निधि के प्रदाता भी होंगे।
हनुमान जी अतुलित बल वाले हैं। हनुमान चालीसा की यह अर्द्धाली सुंदरकांड की वंदना की पुष्टि करती है - अतुलित बल धामं, हेम शैलाभ देहं! यहां भी उन्हें अतुलनीय बल का पवित्र स्थान कहा गया है अर्थात जहां से हम बल प्राप्त भी कर सकते हैं।
हनुमान जी को उनकी माता अंजनी का पुत्र कहा गया है। यह सूचक है कि सनातन संस्कृति में पुत्र की एक पहचान उसकी मां से है। यह मातृ शक्ति के समाज में महत्वपूर्ण स्थान का द्योतक है। बालक की पहचान उसके पिता से ही नहीं है, अपितु उसकी मां से भी है।
हनुमान जी पवनपुत्र हैं। जिस तरह वायु की व्याप्ति सर्वत्र है, हनुमान जी भी उसी गति और प्रभाव से विद्यमान हैं। असंभव कार्य करने, क्षण मात्र में, संकल्प करते ही कर लेने का जो गुण और कौशल हनुमान जी में है, वह अपने पिता के ही प्रभाव से।
हनुमान चालीसा की यह दूसरी चौपाई हनुमान जी का परिचय कराती है और इस परिचय में उनका उज्ज्वल चरित्र सन्निहित है।
आज शरद पूर्णिमा है। महर्षि वाल्मीकि की जयंती। आइए, रामदूत, अंजनी पुत्र और पवनसुत हनुमान जी को प्रणाम करें और उनके चरित्र को चित्त में धारण करें।
दूसरी चौपाई।
चौथा भाग।
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