हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेऊ साजे।।
पांचवीं चौपाई
श्री हनुमान चालीसा की पांचवीं चौपाई में हनुमान जी के स्वरूप को बनाने वाले उपकरणों का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि हनुमान जी के हाथ में वज्र रहता है। यह वज्र गदा रूप में है। जो विशिष्टता वज्र की है अर्थात जो शत्रुओं का नाश करने वाला कठोर धातु से निर्मित है, वह सदैव हनुमान जी के हाथ में रहता है। इसका आशय है कि वह सदैव युद्ध के लिए सन्नद्ध रहते हैं। उनके दूसरे हाथ में ध्वजा है। यह ध्वजा विजय का चिह्न है। यह परिचायक है कि हनुमान जी विजय का प्रतीक हैं। वह जहां हैं, वहीं विजय है।
हनुमान जी यज्ञोपवीत धारण करने वाले द्विज हैं। उन्होंने मूंज का जनेऊ अपने कंधे पर रखा हुआ है। यह जनेऊ उनके पवित्र स्वरूप का परिचायक है।
तुलसीदास जी ने पांचवीं चौपाई में हनुमान जी की वीरता और पवित्रता को उनके द्वारा धारण किए जाने वाले उपादानों से स्पष्ट कर दिया है। गदा, ध्वज और जनेऊ! यह उनके बल, पराक्रम और पवित्रता के सूचक हैं।
ध्वजा उनकी विजयी उपस्थिति का सूचक है, वज्र शक्ति का और जनेऊ धर्म का।
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पांचवीं चौपाई!
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