गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

चित्रकूट : मानस शब्द संस्कृति

चित्रकूट 

 

चित्रकूट गिरि करहु निवासू।
तंह तुम्हार सब भांति सुपासू।।

सैलु सुहावन कानन चारू।

करि केहरि मृग बिहग बिहारू।।

प्रयाग में श्रीराम ने #त्रिकालज्ञ महर्षि #भरद्वाज के दर्शन किए और पूछा कि कहां जाऊं तो विविध भांति से #चित्रकूट की महिमा का बखान कर कहा कि वह यहीं ठहरें। यह स्थान सब तरह से अच्छा कहा गया है, सुहावना पर्वत, सुंदर वन। विहार स्थल।

#मानस_शब्द #संस्कृति

आज चित्रकूट का परिक्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में है। वह भगवान श्रीराम के जीवन में एक विशेष अध्याय का रोपण करने वाला स्थान है।

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सद्य: आलोकित!

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