सोमवार, 9 सितंबर 2013

ढेलहिया चौथ- गालीगलौज वाला चौथ


कि हम सांझ क एकसर तारा, कि भादव चौथि क ससि।
इथि दुहु माँझ कवोन मोर आनन, जे पहु हेरसि न हँसि।।-विद्यापति
     
    आज ढेलहिया चौथ है। आज चाँद को देखने पर दोष लगता है। कहते हैं कि गणेश जी कहीं जा रहे थे और फिसल कर गिर पड़े थे। ऐसा देखकर चन्द्रमा को हँसी आ गयी। अपनी उपेक्षा से आहत गणेश ने चन्द्रमा को शाप दे दिया। गणेश ने चंदमा को कहा कि आज से जो तुम्हें भूलवश भी देख लेगा, उसे मिथ्या कलंक लगेगा।  ब्रह्मा के कहने पर चंदमा ने गणेश की आराधना की। इसके बाद गणेश ने अपने शाप को इस तिथि तक ही सीमित कर दिया।  भूलवश इस दिन चाँद देखने पर कृष्ण को भी कलंक लग गया था। स्यमंतक मणि की चोरी का कलंक। विद्यापति की राधा बहुत दुखी हैं। वे कृष्ण की उपेक्षा से दुखी हैं। कहती हैं- क्या मैं शाम का एकाकी तारा हूँ (यह तारा उदासी का प्रतीक माना जाता है) या भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का चाँद? इन दोनों में मेरा मुँह किस तरह का है? न प्रभु मुझे देख रहे हैं न मुझ पर हँस ही रहे हैं? 
     हमारी तरफ आज के दिन प्रचलित है कि चाँद नहीं देखना चाहिए। अगर गलती से देख भी लिया तो चाहिये कि किसी की गाली सुन लें। सब इस दिन मजे का दिन बना देते थे। कभी किसी की खपरैल पर ढेला फेंक कर या चिढ़ा-चिढ़ाकर गाली सुनने का बहाना खोजते थे।
     आज मैंने न चाहते हुए भी देख लिया है। शाम को लौट रहा था तो याद था कि चाँद नहीं देखना है और यही याद करना मुझे ललचा गया। मैंने उसे देख लिया।
अब क्या करूँ? वैसे मैं इस तरह के अन्धविश्वास में नहीं पड़ा कभी भी। लेकिन आज मन कर रहा है कि इस कलंक को अपने सिर न चढ़ने दूँ। क्या करूँ?
    अब तो हममें वह सहनशीलता भी न रही कि गालियाँ सुनकर पचा लें या उसमें आनन्द तलाश लें। गाली देने वालों में भी वह साहस न रहा। सब बड़ा नकली-नकली टाइप का हो गया है। बनावटी।
   मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ रहे हैं। बेतहाशा।

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सुंदर-- कहा आशुतोष कुमार ने.

बेनामी ने कहा…

hajaari prasad dwivedi ka lekhan yaad aa raha hai ramakant ..bahut khoob.. ise aur bada karke nibandh ki shakla de do to maja aaye.- विजय प्रताप सिंह

बेनामी ने कहा…

Sir.....apni lokparampra me gali dene ke parampra badi samridha hai....aur sunane wale ko paishe bhi dene padte hai.....
bahut badhiya likha aapne :)- अतुल कुमार राय.

बेनामी ने कहा…

parampara bani hogi bahut bare maqsad se ....gaali dena phir paise dene ka chalan .....aalochna krne ka sahas woh bhi saamne .....usko puraskrit krna kya baat hai
- नीलम शंकर

बेनामी ने कहा…

abe chutiye tu bhi vishvash karata hai-
संजय सिंह गौतम

बेनामी ने कहा…

गजब लिखा है भई ....दाद देनी पड़ेगी-
संदीप सक्सेना

बेनामी. ने कहा…

ye baate maine bhi suni hai bare bujurgo se.............ek baar maine bhi galti se aaj ka chand dekh liya tha to maine bhi kai logo ke ghar per patther fake the per.............kisi ne jaaanboojh kar mujhe gali nabhi di thi....................hahahahahahah
- धर्मेन्द्र कुमार गुप्ता

रामाधीन सिंह ने कहा…

आप सभी जानते हैँ कि ; "इसी चन्द्र दर्शन के कारण योगेश्वर क्रिष्ण को भी द्वारिका मेँ स्यन्तकमणि की चोरी का कलंक झेलना पडा था ।" अन्तत: वे मणी खोजने मेँ सफल तो हुए लेकिन इसी कलंक हटाने के प्रयास मेँ उनको सत्यभामा और जाम्बवती से विवाह भी करना पडा । ए दो और विवाह अब करना पडे तो ? ?
रामाधीन सिंह

Harivansh sharma ने कहा…

जब इस घटना क्रम में श्री कृष्ण पर कलंक लग सकता है,तो हम तो साधारण व्यक्ति है.
चन्द्र देव को गणपति देव ने श्रापित किया,वैसे चन्द्र देव तो गौतम ऋषि से भी शापित हुवे थे,तब से चन्द्र का महत्त्व भी कम हो गया,हम इसे मात्र अन्धविश्वाश मानभी ले परन्तु कृष्ण तो हमारे इष्ट देव है,इस लिए चन्द्र दर्शन को अज वर्जित करते है. परन्तु, कमबख्त चन्द्र आज के दिन दिख ही जाता है-आप ने एक अच्छा सुझाव दिया-अपनी लेखनी द्वारा.

Shivani Rai ने कहा…

प्रणाम 🙏बहुत उम्दा

सद्य: आलोकित!

सच्ची कला

 आचार्य कुबेरनाथ राय का निबंध "सच्ची कला"। यह निबंध उनके संग्रह पत्र मणिपुतुल के नाम से लिया गया है। सुनिए।

आपने जब देखा, तब की संख्या.