कूष्माण्ड फल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कूष्माण्ड फल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

कथावार्ता : कद्दू की स्वादिष्ट तरकारी बनाने की विधि!

     रामचरित मानस की बहुत प्रसिद्ध अर्धाली है-
    'इहाँ कुम्हड़ बतिआ कोउ नाहीं।
     जे तरजनी देखि मर जाहीं।।'
     शिव धनुष टूटने के बाद भगवान परशुराम और लक्ष्मण का संवाद चल रहा है। लक्ष्मण परशुराम से कह रहे हैं कि यहां कुम्हड़े के बतिया यानी नवजात फल की बात नहीं हो रही कि तर्जनी दिखा देने से वह मुरझा जाएगा। आप सूर्यवंशी राजकुमारों से बात कर रहे हैं। बहरहाल, रामचरित मानस की यह चौपाई पढ़-सुनकर कुम्हड़े या कद्दू से जैसे वितृष्णा हो गयी थी। यह कोई तरकारी है या फल? कूष्माण्ड फल और बनती है तरकारी। और तो और इस कूष्माण्ड फल का आकार इतना बड़ा होता है कि बिना सामूहिक आयोजन के खप ही नहीं सकता। प्रतापगढ़ और प्रयागराज के विप्र समुदाय के बीच पूड़ी के साथ इसकी तरकारी के कॉम्बिनेशन की लोकप्रियता से मन किञ्चित ललचाया था लेकिन तब भी मैं इसकी तरकारी से चिढ़ता था। भैया को यह पसंद थी। वह जब तब यह लेते आते थे तो एक दिन हमने इसमें कुछ प्रयोग किये और पाया कि कद्दू को कुछ यूं पकाया जाए तो वह जिह्वा पर चढ़ जाती है। आप फॉलो करें!

सामग्री (दो जन के लिए)-
       एक करछुल से कुछ कम सरसों तेल,
पंचफोरन, (पंचफोरन जीरा, कलौंजी, मेथी, सौंफ और राई का बराबर मिश्रण आता है, लेकिन इस व्यंजन के लिए जीरा हटाकर अजवायन का प्रयोग किया जाए।)
कद्दू- आधा किग्रा,
आलू- दो-तीन मंझले आकार के।
लहसुन एक पोटी,
हरी मिर्च,
अदरख और 
नमक स्वादानुसार।

विधि-
        कद्दू और आलू को अलग अलग काट लें। आकार ठीक वैसा हो जैसा पपीता खाने के लिए काटते हैं। नॉन स्टिक कड़ाही में तेल गरम होने के लिए डालें। पंचफोरन डालें। पंचफोरन न हो तो मेथी से काम चला सकते हैं, जीरा नहीं डालना है। फिर लहसुन-मिर्च-अदरक के कटे टुकड़े  डालें। भुनते हुए जब लालिमा झलकने लगे तो आलू डालें। कुछेक मिनट के अंतराल पर कद्दू डाल दें। ध्यान दें कि सारी सामग्री पड़ जाने तक करछुल का प्रयोग नहीं करना है। इस तरह जो परत होगी, उसका क्रम यों होगा-
पंचफोरन-लहसुन-मिर्च-अदरख-आलू और कद्दू। आंच न्यूनतम। ढँक दें। कुछ अंतराल के बाद नमक छिड़क दें। ढँक दें। पकने दें। देखेंगे कि इतना सत्व बन गया है कि तरकारी पक सके। धैर्य रखें। देखते रहें कि कड़ाही से चिपक तो नहीं रहा। जब सत्व कम हो जाये, करछुल का प्रयोग करें। एकाध बार चला दें। सबको मिल जाने दें। कुछ अंतराल के बाद जब आलू पक जाए, (कद्दू पक चुका होगा) उतार लें। अगर हरी धनिया है- बारीक काटकर छिड़क लें। ढँक दें। पाँचेक मिनट के बाद रोटी के साथ  खाएं।
फिर मेरी तारीफ करें।
     धन्यवाद।

नोट- अपने रिस्क पर पकाएं।

सद्य: आलोकित!

आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति

करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।। आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति  जब भगवान श्रीराम अयोध्या जी लौटे तो सबसे प्रेमपूर्वक मिल...

आपने जब देखा, तब की संख्या.