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सद्य: आलोकित!

श्री : मानस शब्द संस्कृति

चलत बिमान कोलाहल होई। जय रघुवीर कहई सब कोई।। सिंहासन अति उच्च मनोहर। श्री समेत प्रभु बैठे ता पर।। श्री : मानस शब्द संस्कृति  लंका से अयो...

आपने जब देखा, तब की संख्या.